प्यासा कौवा की कहानी | Pyasa Kauwa Ki Kahani

प्यासा कौवा की कहानी | Pyasa Kauwa Ki Kahani – दोस्तों इस लेख मे आज हम आपको एक Pyasa Kauwa Ki Kahani के बारे मे बताने वाले हैं, की कैसे एक प्यासा कौवा ने अपनी सूझ – बुझ से अपनी प्यास बुझाई। यह कहानी से आपको जिंदगी मे हार नहीं मानने की बहुत बड़ी सिख मिलेगी।

प्यासा कौवा की कहानी | Pyasa Kauwa Ki Kahani

https://youtu.be/cgNhX6KO3xo

एक समय की बात है, बहुत जोड़ जोड़ की गर्मी थे, गर्मी के मारे सभी जीव जंतुओं का बहुत बुरा हाल था। उस जंगल मे एक कौवा उड़ रहा था। वह पूरी तरह थका हुआ था। और उसे बहुत जोड़ से प्यास लगी हुई थी। कौवा को लगा की इतनी गर्मी मे वो कहीं मर ना जाए। पर उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा की जंगल मे कहीं पर पानी खोजते हैं।

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वाह जंगल मे पानी खोजने लगा, वह उड़ता जा रहा था और पानी खोज रहा था। पर उसे पानी कहीं नहीं मिल रहा था। वह बुरी तरह थक चूका था। ऊपर से गर्मी और तेजी से बढ़ती जा रही थी। कौवा को लगा की अब वो नहीं बचेगा। पर उसने हार नहीं मानी। उसने अपने आप से बोला की जब तक मुझे पानी नहीं मिलेगा मैं हार नहीं मानूंगा। उसने फिर से पानी की तलाश करना शुरुआत कर दी।

वह उड़ता जा रहा था, तभी उसे दूर मे एक झोपड़ी दिखाई दी। उसने सोचा की शायद उस झोपड़ी के आस पास पानी हो। वाह खुशी से उड़ते हुए तेजी से उस झोपड़ी के पास गया। और उस झोपड़ी के चारो और पानी खोजने लगा।

तभी उस झोपड़ी के पास एक घड़ा दिखाई दिया, वह उस घड़े के पास मे गया। और घड़े के ऊपर बैठ गया। उसने घड़े के अंदर झांक कर देखा की पानी है या नहीं। कौवा ने देखा की उस घड़े के अंदर तो पानी है। कौवा का ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।

उसने सोचा की अब वह इस घड़े के अंदर पानी को पीकर वह अपनी प्यास बुझा लेगा। वह उस घड़े के अंदर अपने मुँह को डाल दिया। लेकिन उस घड़े मे पानी बहुत निचे मे था और बेचारा कौवा का मुँह उस घड़े तक नहीं पहुँच रहा था।

कौवा फिर से उदास हो गया, उसने एक पल के लिए सोचा की शायद वह फिर प्यासा ही रह जाएगा। लेकिन उसने फिर से हार नहीं मानी। उसने सोचा की कोई तरकीब लगता हुँ जिससे की इस घड़े का पानी मे पी सकूँ।

और फिर कौवा सोचने लगा की वाह इस घड़ा का पानी कैसे पिए। तभी उसने घड़े के आस पास कई सारे पत्थर और कंकड़ देखें। यह देखकर कौवा के मन मे एक विचार आया उसने एक तरकीब लगाई उसने सोचा की क्यों न मैं इसमें कंकड़ डाल दूँ जिससे की पानी ऊपर आ जायेगा और मैं इसे पीकर अपनी प्यास बुझा सकूंगा।

कौवा ने सूझ बुझ से सारे कंकड़फक्सक,,  एक – एक कर के उसमे डालने लगा कुछ देर मे पानी ऊपर आने लग गया, उसने फिर से कंकड़ डालने लगा, पानी फिर से और ऊपर आने लगा। थोड़ी देर लगातार कंकड़ डालने के बाद पानी पूरी तरह से ऊपर आ गया कौवा का मुँह अब आसानी से पानी तक पहुँच रहा था।

कौवा ने भर – पेट पानी पीया और अपनी प्यास बुझाई, कौवा ने अपनी सूझ – बुझ से उस तेज गर्मी मे पानी खोजा और पानी मिलने के बाद भी उसने हार नहीं मानी और अंत मे उसे जीत मिली।

इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है।

दोस्तों इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की कभी भी कितनी भी मुसीबत क्यों न आ जाये हमे कभी भी हार नहीं मानना चाहिए।

और कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो अगर हम समझदारी से और सूझ – बुझ से काम करें तो मुश्किल से मुश्किल काम को कर सकते हैं।

सारांश:

दोस्तों ऐसे ही मजेदार और सिख देने वाली कहानी हम इस ब्लॉग ओर लाते रहते हैं ताकि लोग इससे अपने जीवन मे बहुत कुछ सिख सके और अपनी जिंदगी मे आगे बढ़ सके। दोस्तों अगर आपको ये कहानी पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

और ऐसे ही मजेदार और अच्छी कहानियाँ Pyasa Kauwa Ki Kahani जैसी पढ़ने के लिए जो आपको जीवन मे कुछ सिखाये उसके लिए हमारे ब्लॉग हिंदी कहानियाँ को पढ़ते रहिये, अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

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